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Monday, 17 July 2017

Diwali essay

दिवाली निबंध 5 (400 शब्द)

दिवाली को रोशनी का त्योहार के रुप में जाना जाता है जो भरोसा और उन्नति लेकर आता है। हिन्दू, सिक्ख और जैन धर्म के लोगों के लिये इसके कई सारे प्रभाव और महत्ता है। ये पाँच दिनों का उत्सव है जो हर साल दशहरा के 21 दिनों बाद आता है। इसके पीछे कई सारी सांस्कृतिक आस्था है जो भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य के आगमन पर मनाया जाता है। इस दिन अयोध्यावासीयों ने भगवान राम के आने पर आतिशबाजी और रोशनी से उनका स्वागत किया।
दिपावली के दौरान लोग अपने घर और कार्यस्थली की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते है। आमजन की ऐसी मान्यता है कि हर तरफ रोशनी और खुले खिड़की दरवाजों से देवी लक्ष्मी उनके लिये ढ़ेर सारा आशीर्वाद, सुख, संपत्ति और यश लेकर आएंगी। इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाने के साथ रंगोली से अपने प्रियजनों का स्वागत करते है। नये कपड़ों, खुशबुदार पकवानों, मिठाईयों और पटाखों से पाँच दिन का ये उत्सव और चमकदार हो जाता है।
दिपावली के पहले दिन को धनतेरस या धनत्रेयोंदशीं कहते है जिसे माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है। इसमें लोग देवी को खुश करने के लिये भक्ति गीत, आरती और मंत्र उच्चारण करते है। दूसरे दिन को नारक चतुर्दशी या छोटी दिपावली कहते है जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। ऐसी धार्मिक धारणा है कि सुबह जल्दी तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा करते है और उन्हें कुमकुम लगाते है।
तीसरा दिन मुख्य दिपावली का होता है जिसमें माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, अपने मित्रों और परिवारजन में मिठाई और उपहार बाँटे जाते है साथ ही शाम को जमके आतिशबाजी की जाती है।
चौथा दिन गोवर्धन पूजा के लिये होता है जिसमें भगवान कृष्ण की अराधना की जाती है। लोग गायों के गोबर से अपनी दहलीज पर गोवर्धन बनाकर पूजा करते है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर अचानक आयी वर्षा से गोकुल के लोगों को बारिश के देवता इन्द्र से बचाया था। पाँचवें दिन को हमलोग यामा द्वीतिय या भैया दूज के नाम से जानते है। ये भाई-बहनों का त्योहार होता है।

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