Wednesday, 30 August 2017
Saturday, 26 August 2017
गणेश चतुर्थी पर निबंध
गणेश चतुर्थी मनाने के दौरान लोग भगवान गणेश (विघ्नेश्वर) की पूजा करते है। गणेश हिन्दू धर्म में सबसे प्रसिद्ध देवता है जो परिवार के सभी सदस्यों द्वार पूजे जाते है। किसी भी क्षेत्र में कोई भी नये कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी लोगों द्वारा हमेशा पूजे जाते है। ये उत्सव खासतौर से महाराष्ट्रा में मनाया जाता है हालाँकि अब ये भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। ये हिन्दूओं का महत्वपूर्ण पर्व है। लोग गणेश चतुर्थी पर पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के भगवान की पूजा करते है।
लोग ऐसा भरोसा करते है कि गणेश जी हर साल ढ़ेर सारी खुशी और समृद्धि के साथ आते है और जाते वक्त सभी दुखों को हर जाते हैं। इस उत्सव पर गणेश जी को खुश करने लिये भक्त विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ करते है। उनके सम्मान और स्वागत के लिये गणेश जी के जन्मदिवस के रुप में इसे मनाया जाता है। ये उत्सव भाद्रपद (अगस्त और सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी पर शुरु होता है और 11वें दिन अनन्त चतुर्दशी पर खत्म होता है। हिन्दू धर्म में गणेश की पूजा बहुत मायने रखती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई पूरी भक्ति और विश्वास के साथ उनकी पूजा करेगा उसे वो खुशी, ज्ञान, घन तथा लंबी आयु प्रदान करेंगे।
गणेश चतुर्थी के दिन लोग सुबह जल्दी ही स्नान कर लेते है, साफ कपड़े पहन कर भगवान की पूजा करते है। वो मंत्रोच्चारण, आरती गाकर, हिन्दू धर्म के दूसरे रिती-रिवाज निभाकर, भक्ति गीत गाकर भगवान को बहुत कुछ चढ़ाते है और प्रार्थना करते है। इसके पहले ये उत्सव केवल कुछ परिवारों में ही मनाया जाता था। बाद में ये बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा हालाँकि बाद में इसको बड़ा बनाने के लिये इसमें मूर्ति स्थापना और विसर्जन शामिल किया गया साथ ही इससे दुखों से मुक्ति मिलने लगी। 1983 में इसे लोकमान्य तिलक (सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय राष्ट्रवादी तथा स्वतंत्रता सेनानी) के द्वारा इस उत्सव की शुरुआत हुई। उस समय अंग्रेजी शासन से भारतीयों को बचाने के लिये एक गणेश पूजा की प्रथा बनायी।
अब के दिनों में गैर ब्राह्मण और ब्राह्मण के बीच की असमानता को हटाने के लिये एक राष्ट्रीय उत्सव के रुप में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को कई नामों से जाना जाता है इसमें से कुछ है- एकदन्ता, असीम, शक्तियों के भगवान, हेरांबा (विघ्नहर्ता), लंबोदरा, विनायक, भगवानों के भगवान, बुद्धि, समृद्धि तथा संपत्ति के भगवान आदि। गणेश विसर्जन की पूर्णं हिन्दू प्रथा के साथ 11वें दिन (अनन्त चतुर्दशी) पर लोग गणेश को विदा करते है। वो भगवान से प्रार्थना करते है कि वो अगले वर्ष फिर से पधारें और अपना आशीर्वाद दें।
Friday, 25 August 2017
Saturday, 19 August 2017
Nath smart support: Independence Day Essay
Nath smart support: Independence Day Essay: स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) पर निबंध | Essay on Independence Day in Hindi! 15 अगस्त 1947 को भारत परतंत्रता के अन्धेरे से निकलकर स्वतं...
Tuesday, 15 August 2017
Independence Day Essay
स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) पर निबंध | Essay on Independence Day in Hindi!
15 अगस्त 1947 को भारत परतंत्रता के अन्धेरे से निकलकर स्वतंत्रता के प्रकाश में आया था । देश को स्वतंत्र कराना जितना कठिन कार्य है, उतना ही कविन कार्य उस स्वतंत्रता की रक्षा करना है ।
देश की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति और पं॰ जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनाए गए । सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश को जयचन्द और मीर जाफर जैसे लोगों ने अपनी आपसी फूट के कारण गुलाम बनवा दिया । इस देश का वैभव, संस्कृति, ज्ञान, धर्म, दर्शन पहले मुसलमानों की और बाद में अंग्रेजों की भेंट चढ़ गए ।
स्वतंत्रता प्राप्ति की पहली चिंगारी 1857 में लगी थी । खुदीराम बोस, सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू ने इस चिंगारी को अपने प्रभावशाली भाषणों से इतनी हवा दी कि यह चिंगारी प्रत्येक भारतीय के हृदय में जल उठी और शोला बनकर अंग्रेंजों पर गिरी । 15 अगस्त 1945 को देश दो भागों में बंटकर स्वतंत्र हो गया ।
इस स्वतंत्रता आन्दोलन में महारानी लक्ष्मीबाई और सरोजिनी नायडू जैसी नारियाँ भी अपना सहयोग देने में पीछे नहीं रहीं । हर वर्ष 15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है । मुख्य समारोह लाल किले पर होता है । प्रधानमंत्री के वहाँ पहुँचने पर तीनों सेना के मुख्याध्यक्ष उन्हें सलामी देते हैं ।
प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगे को फहराते हैं । ध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है । प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश में देश की उन्नति और भविष्य की योजनाओं के बारे में राष्ट्र को बताते हैं । इस अवसर पर देश के गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त विदेशी अतिथि भी होते हैं ।
भाषण की समाप्ति पर तीन बार ‘जय हिन्द’ के उद्घोष के साथ राष्ट्रीय गान गाया जाता है और कार्यक्रम समाप्त हो जाता है । 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश रहता है । इस दिन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान बंद रहते हैं । इसलिए स्कूलों और महाविद्यालयों में एक दिन पहले ध्वजारोहण होता है और प्राचार्य भाषण देते हैं ।
राज्यों के मुख्य मंत्री ध्वजारोहण करते हैं और भाषण देते हैं । प्रधानमंत्री देश के गणमान्य व्यक्तियों, सेना के मुख्य अधिकारियों को और विदेशी अतिथितियों को रात्रि भोजन पर आमन्त्रित करते हैं । रात को सरकारी इमारतों पर रोशनी की जाती है । जिसकी शोभा देखते ही बनती है ।
15 अगस्त का कार्यक्रम सीधा रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता है । इसके पश्चात् राष्ट-भक्ति गीत, कविताएं और नाटक प्रसारित किए जाते हैं । भारतीयों और विदेशियों में अध्यात्म ज्ञान की ज्योति जलाने वाले ‘अरविन्द घोष’ का जन्म दिन भी 15 अगस्त है ।
भारतीयों के लिए यह दिन असाधारण है, जो हमें यह सोचने पर बाध्य करता है कि अपने भविष्य को बनाने के लिए हम अपनी पुरानी गलतियों को न दुहराएं और देश की एकता और अखण्डता की हर कीमत पर रक्षा करें । तभी हम गर्व के साथ इकबाल के शब्दों में कह सकेंगे ।
यूनान मिस्त्र रोमाँ, सब मिट गए जहां से । कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
Tuesday, 8 August 2017
Sunday, 6 August 2017
friendship essay
दोस्ती पर निबंध
दोस्ती दो लोगों के बीच में एक समर्पित रिश्ता होता है जिसमें एक-दूसरे के लिये बिना किसी इच्छा और गलतफहमी के दोनों के पास प्यार, देखभाल और लगाव होता है। आमतौर पर दोस्ती एक जैसे पसंद, एहसास, और विचारों को रखने वाले के मध्य में होती है। ऐसा माना जाता है कि मित्रता में उम्र, लिंग, पद, जाति, धर्म और संप्रदाय की कोई सीमा नहीं होती लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि आर्थिक अंतर और दूसरे भेद दोस्ती को खराब कर देते हैं। इसलिये ऐसा कहा जा सकता है कि सच्ची मित्रता एक जैसे दिमाग और समान हैसियत वाले लोगों के बीच में संभव है।
इस दुनिया में बहुत सारे दोस्त हैं जो समृद्धि के समय हमेशा एक-साथ रहते हैं लेकिन सच्ची, समझदार और भरोसेमंद दोस्ती वो है जो मित्र के बुरे समय में भी साथ रहे। हमारा बुरा समय हमें अच्छे और बुरे दोस्तों की पहचान करा देता है। स्वाभाव से हरेक को पैसे का आकर्षण होता है लेकिन सच्चे मित्र हमें कभी भी बुरा एहसास नहीं करवाते जब हमें पैसे या किसी सहायता की जरुरत होती है। हालांकि, कई बार दोस्तों से पैसा उधार लेना मित्रता को खतरे में डाल देता है। दोस्ती किसी भी समय दूसरों या खुद से प्रभावित हो सकती है इसलिये हमें इस रिश्ते में संतुलन बना कर चलना चाहिये।
कई बार मित्रता खुद के अहम् या आत्म-सम्मान के कारण टूट जाती है। सच्ची दोस्ती में उचित समझ, संतुष्टि, मदद करने की भावना तथा भरोसा होना चाहिये। सच्चे दोस्त कभी शोषण नहीं करते बल्कि जीवन में सही कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन कई बार कुछ झूठे और मक्कार दोस्तों की वजह से दोस्ती का मतलब पूरी तरह से बदल जाता है जो हमेशा किसी दूसरे का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग तुरंत दोस्त बनाना चाहते हैं और स्वार्थ की पूर्ति होते ही दोस्ती को खत्म कर देते हैं। दोस्ती के बारे में कुछ भी गलत कहना मुश्किल है लेकिन ये सत्य है कि किसी भी बेपरवाह इंसान को दोस्ती में ठगा जा सकता है। आज के दिनों में, अच्छे और बुरे लोगों के भीड़ के बीच में अच्छी दोस्ती मिलना बहुत कठिन है लेकिन अगर किसी के पास सच्चा दोस्त है तो उससे ज्यादा भाग्यशाली इस दुनिया में कोई नहीं है।
सच्ची दोस्ती इंसान की इंसान के साथ और इंसान की जानवर के साथ भी हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अच्छा मित्र हमारे जीवन के खराब दिनों में मदद करता है। दोस्त हमेशा हमें खतरों से बचाता है साथ ही समय से सलाह भी देता है। सच्चे दोस्त हमारे जीवन की संपत्ति के समान है क्योंकि वो हमारे दुख, दर्द और सच्चाई को हमसे बाँटते हैं और हमें खुश रखते हैं।
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